मैं दो साल पहले एक दिन अपने दोस्तों के साथ ‘सेंजी दुर्ग’ गई थी। उस जगह में दो महल हैं, एक राजा का महल और दूसरा रानी का। राजा का महल बहुत ऊँची जगह पर स्थित है। उसमें लगभग 3000 सीढ़ियाँ हैं। मैंने अपने दोस्तों के साथ नौ बजे सीढ़ियों पर चढ़ना शुरु किया। लगभग साढ़े बारह बजे हम ऊपर जाकर नीचे उतर गईं। इतनी सारी सीढ़ियों पर चढ़कर, वह भी कई जगहों पर पत्थर टूटे हुए थे , कम समय में लौटना भी हमारे लिए बड़ा साहसपूर्ण कार्य लग रहा था। जब हमने अपनी इस यात्रा के बारे में सबको बताया तब उन्होंने हमारी तारीफ की। सचमुच उस छोटी उम्र में किया यह कार्य हमारे लिए साहसपूर्ण कार्य है।
एना क्रिस्टैन फेलिसिटि जे.
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मेरा साहसपूर्ण कार्य ऐसा बड़ा नहीं है, बहुत छोटा है।जब मैं 12 साल का था तब मैं कोडैकानल गया। मेरे दादा के घर के पास के एक छोटे घर में आग की दुर्घटना हुई। उस घर में पति- पत्नी, उसका भाई और दो छोटे बच्चे भी थे। वे सब सो रहे थे। आग लगने के कारण वे जल्दी- जल्दी चीज़ें इकट्ठा करके घर से बाहर निकले। एक चार महीने का बच्चा सो रहा था। उसकी याद पहले किसी को नहीं आयी। थोडी देर बाद उस बच्चे की माँ रोने लगी। कारण पूछने पर पता चला कि सोता बच्चा जल रहे घर के अंदर छूट गया है। तुरंत मैंने धैर्य के साथ उस घर में घुस कर बच्चे को खोजा। एक छोटी सी पलंग पर पड़ा बच्चा रो रहा था। मैंने उस बच्चे को बचाया। जब हम उस बच्चे को अस्पताल ले गए तब डॉक्टर ने मेरी तारीफ की और कहा कि ठीक समय पर बच्चे को लाकर मैं उसकी जान बचाने में कामयाब रहा। जब कभी भी इस घटना को याद करता हूँ तो गर्व महसूस करता हूँ।
सीता रामन पी.
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