जिस सपने को मैं भूल न सका
एक दिन मैंने एक सपना देखा जिसमें मैं एक शिलपकार बनी थी| मैंने एक शिलपकार बनकर सपनों का घर बनाया था, उस घर में एक तैरने का तालाब, फुट बाल खेलने की जगह बनाया| उस तैरने के तालाब में घर के सब बच्चे मजा करते थे| पहले दो-चार बिल्डर्स ने मुझे ऐसे ही घर डिज़ाइन करने का मौका दिये थे| इस काम के करने से मैं एक धनी बन गयी| मैं इस पैसे से अपने सपनों का घर को सजाया| यह सपना पूरे होने के पहले मेरी माँ ने मुझे जगाया|
Srinidhi A. VIII A