पशु – पक्षी भी बोलने लगे तो

पशु – पक्षी भी बोलने लगे तो बहुत अच्छा होगा। हम उनसे बात कर उनके बारे में जान सकते हैं कि वे धरती में कैसे आए, उनके माता – पिता कौन हैं और उन्हें क्या पसंद है। हम उनके साथ खेल सकते हैं, वे अब क्या करते हैं, कहाँ जाते हैं ये सब जान सकते हैं। अपनी जानकारी और ज्ञान बढ़ा सकते हैं। उन बच्चों को एक अच्छा साथी मिल सकता है जो घर का इकलौता वारिस है।

निहाल  बी. 

VI ‘A’

वह वर्षा ऋतु का दिन था। मैंने अपने दरवाज़े से बाहर देखा तो वह दृश्य बहुत खूब सूरत था। मुझे वह दृश्य बहुत पसंद आया। तब मुझे कुछ अज़ीब सी वाणी सुनाई पडी। बाहर देखा तो कोई नहीं था। दो पेड़ आपस में बात कर रहे थे। वे दोनों हमारी प्रकृति के बारे में बात करते थे। उससे ही मुझे पता चला कि हमारे कार्यों से प्रकृति को कितनी परेशानी होती है। इसलिए मैंने सोच लिया कि मैं कुछ भी करके प्रकृति की रक्षा करूँगी।

बी. ए. सहाना

VIII ‘A’

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