मानव की असमर्थता

 

बिजली का गीत गाना, इंद्रधनुष का नाचना,

पुलकित होकर बादलों का मृदंग की तरह बरसना।

देखने, सराहने के ‘समय’ मानव खो चुका है

क्योंकि वह खुद भी ‘वाट्स-एप’ में डूब चुका है।

तेजस्विनी. बी

VII A

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