मेरा एक दिन बिना मोबाइल फोन के

आज के दिन ऐसा शायद ही कोई होगा जिसके पास मोबाइल फोन ना हो। हर किसी व्यक्ति के पास मोबाइल फोन होना एक आम बात है क्योंकि मनुष्य इसका आदि हो चुका है।

मैं भी उन्हीं लोगों में से एक हूँ। मोबाइल फोन के बिना दिन बिताना हमारे लिए बहुत मुश्किल

का काम है। आज के ज़माने में मोबाइल फोन ही नहीं परंतु स्मार्ट फोन भी आ गया है, जिसमें हम कई ‘खेल’ खेल सकते हैं। स्मार्ट फोन में हम किसी भी स्थान में जाने के लिए नक्शे (Google Map) की सहायता ले सकते है। इतना ही नहीं, गूगल, याहू जैसे खोज यंत्रों से कोई भी सूचना बिना किसी परेशानी के प्राप्त कर सकते हैं।                                              मोबाइल फोन आजकल बहुत ही उपयोगी हो गया है और हर एक मनुष्य के पास मोबाइल फोन होना जैसे आवश्यक हो गया है। लेकिन हमें उसे रखकर दिनभर समय नहीं बिताना चाहिए।

फोने के बिना पूरा एक दिन बिताना बहुत ही मुश्किल है। मन बहुत ही चिड़्चिड़ा और बेचैन हो जाएगा। परंतु ऐसा नहीं होना चाहिए। हमें हर परिस्थिति में खुशी रहना चाहिए।

                                                     एस. श्रीजिता

IX ‘A’

          हाथों में थामके, मोबाइल को शान से,

मनभावन रंग में, जहाँ देखो मोबाइल के संग में,

बन गया है यह प्यारा खिलौना हर किसी इनसान के।

रोज सुबह सबको यह जगाता, पता ठिकाना है बतलाता,

नम्बर डायल करो किसी का, उससे है बातें करवाता,

ज्ञान करो हासिल नेट से या बात करो दुनिया भर से।

सोते-जागते, उठते-बैठते, खाते-पीते, नहाते-धोते,

एक इसी से अपनी दोस्ती निभाई, मोबाइल के बिना नींद नहीं आई।

आँखों से बहता पानी, गुस्सा आता मुझको सब पर,

ढूँढ़्ती है मेरी आँखें मोबाइल को सभी जगह पर,

कहाँ है मेरा मोबाइल, कहाँ है मेरा मोबाइल,

पागल-सी हो जाती हूँ मैं बिना मोबाइल के,

और जब यह मिल जाती है तो लेती हूँ ठंडी साँस,

फिर से बैठ जाती हूँ अपने प्यारे दोस्त मोबाइल के साथ।

                                                     श्रीनिधी

X ‘B’

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