मैने साइकिल चलाना किससे और कैसे सीखा

मैने साइकिल चलाना किससे और कैसे सीखा

मुझे तीसरी कक्षा से ही साइकिल चलाने की इच्छा शुरु हुई| इसलिए मैं पहले खुद साइकिल चलाने की कोशिश में लग गया| मैं

स्कूल से आकर रात में कुछ देर केलिए साइकिल चलाता था| पर मैं स्वयं साइकिल चला नहीं सका| इसलिए मैंने अपने पिताcycle2

से मदद माँगी| मैं जब भी साइकिल चलाने जाता तब मेरे पिता भी साथ आते थे| वे मेरे साइकिल को पकड़ते थे जिससे मैं नीचे

नहीं गिरा| एक दिन मेरे पिता, साइकिल को नहीं पकडा, यह बात मुझे पता नहीं चला था| मेरे पिताजी  साइकिल पकड़ते आ

रहे हैँ , यह सोचते सोचते मैंने पाँच मिनिट स्वयं साइकिल चलाता रहा| पिताजी मेरे साथ नहीं आ रहे हैँ , यह बात मुझे तभी पता चला कि जब  उन्होंने मुझे दूर से बुलाया|

                                  C.G.Lakshminarayanan VIII C

 

मुझे पहले उतना अच्छा साइकिल चलाने तक नहीं आता था, एक दिन यूँ ही साइकिल चलाते वक्त मेरे भैया ने मुझे देख

लिया पहले तो कुछ नहीं कहा क्योंकि मैं सड़क के बीचों-बीच था और वे क्या कर सकते थे| वे मुझे बेकार में डाँटकर मुझेcycle

अपमानित करना नहीं चाहते थे| लेकिन एक बात ज़रूर कहा कि “अगर तुम मुझे यह बात पहले ही बताते तो बेकार में चोट

नहीं खाते”| ऐसा कहा फिर उन्होंने मेरे साइकिल को दुकान ले जाकर दो-दो छोटे पहिए लगा दिए और मैं अपने साइकिल

चलाने का तकनीक को बदलते गया| और मैं बहुत गर्व से कह सकता हूँ कि मैं आज अच्छा साइकिल चलाता हूँ तो वे मेरे

भैया के कारण ही है और आज मैं “गियर साइकिल” चलाने का काबिल हो चुका हूँ|

                                        C.R. Harish Kamakotti    VIII A

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