* मेरे सपनों के भारत को सबसे साफ़ और स्वच्छ होना चाहिए।
* यहां अन्याय का नामोनिशान नहीं होना चाहिए।
* यहाँ लोगों को हर तरह की सुरक्षा मिलनी चाहिए।
* हरेक का अपना घर होना चाहिए।
* हरेक बच्चा पाठशाला जाए।
* हरेक व्यक्ति को अस्पताल में समान चिकित्सा मिले।
* सभी अपने अधिकारों का सदुपयोग करें।
* कर्तव्यों का पालन करना अपना धर्म समझें।
* निज स्वार्थ के लिए कोई स्थान न हो।
* सभी परोपकार को परमोधर्म: समझें।
* सभी के विचार उँचे हों।
* हरेक व्यक्ति देश की रक्षा के लिए जान देने के लिए तैयार रहे। आदि।
बी.एस. अनहा
VII’A’
हमारे देश में अलग- अलग क्षेत्रों, धर्मों और भाषाओं के लोग शांति से रहते हैं। हमारी मातृ भूमि हमारे लिए सब कुछ है। ज्यादा लोग उसके लिए कुछ कर उसे बेहतर जगह बनाना चाहते हैं। मैंने भी ऐसे सपने देखा है।
मेरे सपने में लोग बिना किसी विविधता के एकता, सद्भाव के साथ रहते हैं। लिंग, जाति, रंग या पंथ के आधार पर भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है।
मैं चाहती हूँ कि सरकार सभी के लिए समान रोजकार के अवसर प्रदान करें ताकि युवाओं को उनके योग्य रोजगार मिल सके और राष्ट्र के विकास के लिए युवा अपना योगदान दे सके। मैं चाहती हूँ कि देश तकनीकी रूप से उन्नत हो और सभी क्षेत्रों में विकसित हो।
मेरा सपना है कि भारत एक ऐसा देश हो जहाँ महिलाओं को सम्मान दिया जाए, उनके साथ सभ्य व्यवहार किया जाए और पुरुषों के समान रोजगार के अवसर दिये जाए। मेरे सपनों के भारत का हर नागरिक शिक्षित होगा। हरेक बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार मिलेगा।
मेरी यह कामना है कि एक दिन मेरा यह सपना साकार हो। उस दिन भारत सोने के चिड़िया के समान चमत्कारी होगा।
ऐ. श्रेया
VIII ‘C’
मेरे सपनों का भारत एक ऐसा देश होगा जहाँ समानता की स्वतंत्रता अपने वास्तविक अर्थों में मिलती है। यह ऐसी जगह होगी जहाँ किसी व्यक्ति की जाति, धर्म, सामाजिक या आर्थिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता हो। मैं इसे ऐसे भी देखती हूँ जिसमें तकनीकी क्षेत्रों में तेज़ी से विकास हुआ हो।
देश को आगे बढ़ाने और विकसित करने के लिए अभी भी काफ़ी काम करने की ज़रूरत है। इनपर भारत को बेहतर बनाने के लिए इन बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है :
- शिक्षा और रोजगार का विकास होना
- भ्रष्टाचार से मुक्त होना
- महिला विकास होना
मेरे सपनों का भारत ऐसा हो जहाँ हर चेहरे पर खुशहाली हो और खेतों में हरियाली हो। सब प्रेम भाव से गले मिले, चाहे ईद हो या दीपावली। मेरे सपनों का भारत ऐसा हो जहाँ की नारी निर्भय रहें।
अप्सरा आर.
VIII ‘C’
भारत का अपना समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग इस देश में शांति से रहते हैं। हालांकि ऐसे लोगों के कुछ समूह हैं जो अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए लोगों को भटकाने की कोशिश करते हैं जिससे देश की शांति में बाधा आ जाती है। मेरे सपनों के भारत में इस तरह की विभाजनकारी प्रवृत्तियों की कोई जगह नहीं होगी। यह ऐसा स्थान होना चाहिए जहाँ विभिन्न जाति या समूह एक – दूसरे के साथ एकदम सही तालमेल में रहते हैं।
मैं भारत को ऐसा देश होने का सपना देखता हूँ जहाँ का हर नागरिक शिक्षित होगा। मैं चाहता हूँ कि मेरे देश के लोग शिक्षा के महत्व को समझ सकें और यह संकल्प करें कि अपने बच्चों को छोटी सी उम्र में नौकरी पर भेजने के बजाय शिक्षा हासिल करने का अवसर प्रदान करें।
मैं चाहता हूँ कि देश की आर्थिक असमानता दूर हो और धन समान रूप में नागरिकों को वितरित किया जाए। मैं चाहता हूँ कि सरकार सभी के लिए समान रोजगार के अवसर प्रदान करें ताकि युवाओं को योग्य रोजगार मिल सके और राष्ट्र के विकास के लिए युवा अपना योगदान दे सकें। मेरा यह भी सपना है कि भारत हर तरह से उन्नत हो।
राहुल अवधानि आर.
VIII ‘A’